खिङकी से झाँकते चाँद में तुम हो
तारों से खिले आसमान में तुम हो
फ़ूलों की खुशबुओं में तुम हो
दूर से दिखते पहाङों में तुम हो
पत्तों की सरसराहट में तुम हो
बादलों की गङगङाहट में तुम हो
खूबसूरत नज़ारों में तुम हो
महकती बहारों में तुम हो
हवा की मीठी छुअन में तुम हो
भँवरे की गुँजन में तुम हो
ओस की बूंदों में तुम हो
मेरी बेख़बर नींदों में तुम हो
सूरज की गर्मी में तुम हो
शाम की नर्मी में तुम हो
पवन के झोंके में तुम हो
पलकों के झरोखे में तुम हो
मेरे अधूरे ख्वाब में तुम हो
मेरी हर साँस में तुम हो
मेरी रग-रग, रोम-रोम में
तुम्हीं तुम हो, जानम बस तुम हो
Wednesday, March 2, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
great work.. very romantic..
Post a Comment