Friday, April 12, 2013

प्रेम...


आफ़ताब की शीतल किरणें
जैसे हम आपके आग़ोश में
बूंदों की खनकती छम- छम
जैसे मदहोश होके गाए मेरा मन
रात की ये गहरी ख़ामोशी
जैसे साज़िश आपकी आँखों की
लहरों का किनारे से टकराना
जैसे मेरे दिल का मचल जाना
बहती पवन की सरसराती ठंडक
जैसे दो दीवाने दिलों की धक- धक
चाँद का बार- बार बादलों में छुपना
जैसे आपका मुस्कुराके नज़र फेरना
सुबह की पहली सुनहरी किरण
जैसे जीवन में प्रेम का आगमन

No comments: